नमस्कार, साथियों, स्वागत है आप सभी का, आप है मेरे साथ में एक ऐसी खबर की चर्चा करने के लिए जिसे सुनने के बाद, हो सकता है कि आप भी अपने घर में रखें हुए.
कुछ मसाले को जाकर चेक करें और पढ़ें की कहानी इसमें जो सर बताने वाले हैं वैसी कोई चीज तो नहीं है. इंडिया के एक प्रोडक्ट की जिसका नाम है एमडीएच और औरस्ट का मसाला
आज हम बात करने वाले हैं कि हांगकांग और सिंगापुर एमडी और एवरेस्ट के मसाले को बनैन किया है. अब इस खबर को विस्तार से समझेंगे और इस खबर के अंदर जो हैेडलाइन है की सुर्ख़ियों पर नजर डालेंगे
एमडीएच और एवरेस्ट के मसाले को बन कर दिया है. तो इस पोस्ट में हम विस्तार से जानेंगे की कौन सा मसाला बैन हुआ है?, क्या कंपलीटली बैन हो गया है?, एमडीएच की और एवरेस्ट की कहानी क्या है? और कैंसर कॉजिंग क्यों?
क्या हम कोई ऐसा मसाला खाते हैं? क्या जिसके अंदर कैंसर की कोई चीज पाईजाती हो और हमें पता ही ना हो? क्या पता हमे भी कैंसर का बड़ा करण वो बन रहा हो ?
हांगकांग के फूड सेफ्टी विभाग ने भारतीय कंपनी एमडीएच और एवरेस्ट के कुछ पैकेट बंद मसाले में कीटनाशक एथिलीन ऑक्साइड के पाए जाने का दावा किया है.
सारे नहीं एवरेस्ट साठ प्रकार के मसाले बेचता है. उनमें से एक मसाला और एमडीएच के तीन मसाले बैन हुए हैं. आपको याद होगा इंडिया दुनिया में मसाले के लिए जाना जाता है. हमारे यहां का जो एनवायरनमेंट है वो मसाले के उत्पादन में काफी सहयोगी है।. इसी कारण से भारतीय मसालों की डिमांड पूरी दुनिया भर में रहती है और उसी क्रम में भारत के बहुत से मसाले दुनिया के विभिन्न देशों के अंदर इंक्लूडिंग, अमेरिका, यूरोपियन कंट्रीज और भी हमारे पड़ोसी जो आशिया मुल्क हैं इन सब के अंदर बेचे जाते हैं.
मसालों में से दो बड़ी कंपनियां. वैसे आप पहले यह समझ लीजिए कि भारत के अंदर मसाले का जो मार्केट है वो बड़ा ही विचित्र प्रकार का है. हम और आप अपने घर में तो तरीका ही ये है की उनको पिसवाने के लिए जाते हैं. अगर हमको कोई मसाला यूज करना है तो उसे.
रॉ फॉर्म में लेकर आते हैं और खुद मसाले पिसवाकर उपयोग करते हैं या फिर खुले मार्केट से. जिन दुकानों पर आपको ट्रस्ट है वहां से लेकर आते हैं लेकिन बहुत से मसाले जो मिक्स करके बनाए जाते हैं जैसे की करी मसाला हो गया, चिकन मसाला हो गया या सांभर मसाला हो गया, चना मसाला हो गया जिनमें कई प्रकार के मसाले मिक्स करके एक विशिष्ट प्रकार का टेस्ट पैदा किया जाता है. उन मसाले में एवरेस्ट मसाले, एमडी और भारत के कुछ मसाले. उनका नाम जबरदस्त है और उन्होंने अपनी एक पहचान उस क्षेत्र के अंदर बनाई है और भारत में ही नहीं दुनिया भर में अपने पहचान को बनाया है. अब मसाले को बनाकर के बाहर बेचना. देखिए. इंडिया से जब सिल्क रूट के थ्रू सामान जाया करता था तो भी मसाले प्रमुखता से बाहर भेजे जाते थे.
आज भी बड़ी संख्या में अगर हम कहें की भारत का एक्सपोर्ट होता है सामान तो उसमें कंट्रीब्यूशन और उन मसाले में अगर भारत कहीं एक्सपोर्ट कर रहा है, मसाले और कहीं मसाले रास्ते में खराब हो गए, पिसे हुए मसाले गए हैं. पता चला की उनमें सीलन हो गई या उनमें कोई कीटाणु जीवाणु आ गया. उनसे बचाने के लिए प्रिजर्वेटिव पेस्टिसाइड कुछ इस तरह की चीज मिलाई जाती हैं. उन्हीं में से एक प्रिजर्वेटिव है जिसका नाम एथिलीन ऑक्साइड का यूरोपियन कंट्रीज में पूरी तरह उपयोग . यहां पर भी एथिलीन ऑक्साइड का उपयोग बंद है. इसके बावजूद दो देश जिनमें से एक हांगकांग और दूसरा सिंगापुर, इन दो देशों के अंदर इन मसाले के अंदर एमडीच और एवरेस्ट के मसाले में एथिलीन ऑक्साइड नामक केमिकल पाया गया है. एथनाइड को मतलब सबसे तीव्र जो कैटिगरी अगर बनाई जाए, कैंसर होता है उनको अगर एक हज़ार दौ सौ चौंतीस प्रकार कैटगरी में बांट दिया जाए तो कैटिगरी वैन लेवल का करसोजन पाया जाता है एथंदर. लेकिन एथलीन ऑक्साइड का उपयोग क्यों किया जाता है? अगर कैंसर ही है तो क्या ये लोग कैंसर करने के लिए इस तरह का काम कर रहे हैं? जी नहीं.
यह इसलिए करते हैं क्योंकि एथिलीन ऑक्साइड में स्टेरलाइजेशन यानी की एक तरह से एक्सेस में अगर कोई मॉइश्चर है उसको सोखने की पावर बैक्टीरिया के कीटाणु के जीवाणु के इंफेक्शन को रोकने की पावर इस तरह की विशिष्टताएं एथिलीन ऑक्साइड में होती हैं और इस विशिष्ट के चल एथिलीन ऑक्साइड का उपयोग इन मसाले की पैकेजिंग में किया जाता है और हांगकांग और सिंगापुर में एथिलीन ऑक्साइड मिल चुका है और जब की इससे कैंसर फैलता है तो निश्चित ही उन मसाले पर बन लगा अवश्य संभावित था. थोड़ा सा एमडीएच और एवरेस्ट के बड़े में जान लेते हैं फिर हम और आगे आपको बढ़ते हुए चलेंगे.
बढ़िया कारोबार है एमडीएएस मसाले का इंडिया में सेकंड मार्केट है. इसी प्रकार से एमडीएस के बहुत सारे वैरायटी ऑफ प्रोडक्ट्स मार्केट के अंदर आती हैं. साथ ही साथ अगर एमडीएच की बात की जाए तो एमडीएच का सांभर मसाला और करी मसाला इनके ऊपर सबसे ज्यादा एथेलीन ऑक्साइड के उपयोग का दावा किया गया है. इस प्रकार नंबर वन स्पाइसेज में उसका नाम एवरेस्ट मसाला है और एवरेस्ट मसाला जो की महाराष्ट्र से बिलग करता है श्रीवादी लाल भाई शाह के द्वारा इसको शुरू किया गया था 1967 में इसको शुरू किया गया था. वर्तमान में यह इंडिया का सबसे बड़ा ब्रांड बन कर के मसाले के सेक्टर में काफी बड़ा नाम अपना रखता है और इनका प्रोडक्शन जो है वो दुनिया भर में मतलब अपने प्रोडक्ट्स को बेचने के अंदर काम में लिया जाता है।. अगर हम भारत में ब्रांडेड प्रोडक्ट्स की बात करें तो ब्रांडेड प्रोडक्ट्स में एवरेस्ट नंबर वन पर आता है और एमडीएच दूसरे नंबर पर आता है. तीसरी नंबर पर शक्ति मसाला, फिर आशी और फिर ईस्टर्ला प्रकार के हमारे यहां पर जो मसाले के अंदर उनका ज्यादा मार्केट है. अगर हम बात की ग्रोथ की करें तो निरंतर अपनी ग्रोथ में इंक्रीमेंट ही देखते हुए पाए गए हैं.
इंडियन स्पाइस मार्केट की अगर हम चर्चा करें करोडो का मार्केट है ये 2030 तक बढ़कर दौ लाख करोड़ का मार्केट हो जाएगा, ऐसा विशेषज्ञों का मानना है. और अगर भारत के द्वारा कितना मसाला एक्सपोर्ट किया जाता है तो यूनाइटेड स्टेटस को भारत के द्वारा लगभगयालीस बि इंडियन रुपीस का मसाला हर साल एक्सपोर्ट किया जाता है. मतलब दौ हज़ार तेईस का डाटा आपके सामने है सेकंड लार्जेस्ट. हम बांग्लादेश को, फिर हम यूएई को, फिर श्रीलंका, यूके, सऊदी अरब, जर्मनी और सिंगापुर. हम सिंगापुर को भी बड़ी मात्रा में हमारे मसाले एक्सपोर्ट करते हैं.
क्योंकि हमारे मसालों के अंदर एक विशिष्ट प्रकार की सुगंध होती है, एक विशिष्ट प्रकार का टेस्ट होता है, इसलिए दुनिया भर में इनकी डिमांड रहती है. सिंगासाले में से फिश करी जो मसाला है उसमें पेस्टिसाइड की प्रेजेंस लेवल से अधिक होने के कारण किया है. इसी प्रकार से हांगकांग ने एमडीच और एवरेस्ट के मसाले के अंदर एथिलीन ऑक्साइड की मात्रा होने पर बन किया है.
सिंगापुर के पीछेपी, हांगकांग चल पड़ा. एमडी के तीन और एवरेस्ट के एक एथिलीन ऑक्साइड का पाया जाना. कौन-कौन से मसाले में एमडी मद्रास, करी मसाला, एमडीएच का सांभर मसाला और एमडीएच का करी मसाला. इनके अंदर पेस्टिसाइड, एथिलीन ऑक्साइड, कासिनोजेनिक, आप में से कुछ लोग ये पूछ सकते हैं की ये चीज डाली ही क्यों गई. जब ये बन है तो मैंने आपको शुरुआत में भी बताया और फिर से एक बार बता रहा हूं. इनके अंदर ये जो नेचर पाई जाती है मसाले के अंदर, यह साॉरी एथलीन ऑक्साइड के अंदर कि यह प्रिजर्वेटिव के तरीके से भी लोग यूज कर ले रहे हैं. क्योंकि मसाले की जब पैकेजिंग होती है तो उसमें थोड़ी भी मॉइश्चर उस मसाले के स्वाद को खराब कर सकती है. इसकी हल्की सी मात्रा को सोखने का काम कर सकती है. इसलिए संभवत इसको मिलाया गया. इसकी जांच चल रही है. इतने सारे मसालों में से जब साठ मतलब साठ टाइप्स ऑफ मलेसा मिले हो, तीन में ही एथिलीन ऑक्साइड मिला हो,
तो ये भी एक अपने आप में डाउट, डाउट का मतलब मुद्दा है. हो सकता है की लोकल लेवल पर यह नकली प्रोडक्शन होता हो. इसका मतलब की हो सकता है कि इसका प्रोडक्शन उनके द्वारा कराया ही ना जाता. लोक लेवल परस होता हो. कुछ लोग जो नकली बनाकर बे हो सकता है क्योंकि बाकियों में भी मिलता. अगर ऐसा होता तो केवल तीन ही क्यों मिला ये अपने आप में एक प्रश्न छोड़ता है. हालांकि फिर भी इसी प्रकार से एवरेस्ट के फिश कारी मसाला के अंदर यह पेस्टिसाइड पाया गया है. तो ये चार मसाले हैं कुल मिलाकर के, एमडीएच के और एस्ट के, जिनके अंदर ये मसाले के अंदर एथिलीन ऑक्साइड पाया गया है. ठीक है साहब.
एथिलीन ऑक्साइड जो की ग्रुप वैन कार्स का मतलब जिसकी वजह से कैंसर होता हो तो ग्रुप वन कासिनोजेनिक है. इसके बारे में थोड़ा सा हम जान लेते हैं एथिलीन ऑक्साइड एथिलीन ऑक्साइड जिसका उपयोग पहले कृषि हेल्थकेयर, फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री में बहुतायत में होता था. हाल ही के दिनों में इसका उपयोग थोड़ा प्रतिबंधित हुआ है
जब से यूरोपियन देशों के द्वारा यूरोपियन यूनियन के द्वारा इसके उपयोग पर बन किया गया है. क्योंकि इससे यह पता चला था की ये ग्रुप वैन लेवल कािक है यानी कि ऐसा जो इंसान के संपर्क में आते ही उसमें कैंसर कर सकता है. आप देख सकते हैं को अगर मतलब कैंसर को पैदा करने वाले कारक उनको ग्रुप के अंदर बनता जाए तो ह्यूमंस के अंदर इसका नाम सबसे पहले आता है तो एथिलीन ऑक्साइड को सबसे खतरनाक उनमें से कंसीडर किया जाता है. ठीक है साहब, अब दुनिया भर में यूरोपिय यूनियन ने इसको एक हज़ार नौ सौ इक्यानवे में से ही बन किया हुआ है. दौ हज़ार ग्यारह के अंदर फूड और फीड एप्लीकेशंस के अंद इसको बन किया हुआ है. इसके साथ-साथ भारत में भी एथलीन ऑक्साइड खाद्य पदार्थों में बैन है.
अमेरिका भी दौ हज़ार तई भारत ऊपर आरोप लगा चुका है की आपके मसाले के अंदर कुछ सालमोनेला पॉजिटिव पदार्थ प्रकार ची रहीमोनेला पॉजिटिव यानी की जिसकी वजह से वो बैक्टीरिया जिससे डायरिया और पेट दर्द होता हो ऐसी चीज.
अमेरिका ने भी लास्ट ईयर हम पर क्लेम की थी इन्हीं एवरेस्ट और एमडीए जैसे मसाले के ऊपर की आपके मसाले में कुछ ऐसा पदार्थ पाया जा रहा है कुल कि भारत द्वाराफर्ड पा हो तो अंतरराष्ट्रीय स्तर भारत मा खराब नहीं होगा अाइ. कॉम्पिटिव युग में कोई और दूसरा आकर के इस मार्केट को ग्रैब करके ले जाएगा. हालांकि फिलहाल के लिए वेंडर्स को इनके सेल्स और प्रोडक्ट्स को हटाने का आदेश दे दिया गया है. फूड सेफ्टी रेगुलेटर जो इंडिया में वो भी अब इस पर प्रॉपर तरीके से जांच करेगा की क्या भारत में जो मसाले बाईक रहे हैं वो तो कहीं ऐसा नहीं है की वो भी का एथिलीन ऑक्साइड के साथ बिक रहे हो. इसीलिए फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया.
मसालेों के कई सैंपल्स चेक करने वाला है ऐसा हाल ही में जानकारी निकल कर आई है तीन-चार दिन के अंदर सैंपल कलेक्ट हो जाएंगे और बीस दिन में इनकी लैब रिपोर्ट्स आ जाएगी और अगर हानिकारक तत्व निकलकर आता है तो कंपनियों के खिलाफ सख्त करवाई की जाएगी.
पहले भी कंपनियों के द्वारा सैंपल टेस्टिंग होती रही है लेकिन इस बार ज्यादा सैंपल कनेक्ट किए जाएंगे ताकि उनमें से प्रॉपर तरीके से जांच की जा सके।. जब कंपनी से पूछा गया तो कंपनी ने अपने तरफ से यही कहा कि हमारा केवल एक प्रोडक्ट हुआ है. कहा कि हमारे ऊपर नहीं लगावल हमारा फिश काी मसाला रिकॉल किया गया है की इसे ना बेचा जाए. अभी हम इस पर अपना स्पष्टीकरण दे देंगे और अपनी तरफ से पुरी जांच रिपोर्ट.
जांच एजेंसी के सामने रख देंगे. उसके बाद हम कुछ और कहेंगे. है की खाद्य पदार्थों को लेकर दुनिया में बढ़ती हुई अवेयरनेस आपके लिए फायदेमंद है. क्योंकि अल्टीमेटली आपको खाद्य पदार्थों में उच और अनुचित है. इसकी जानकारी प्रॉ मिलती रहती है. फिलहाल के लिए इतना ही अपना ख्याल रखें.